दो कप के गोल निशान प्रमाण देते हुए कि कोई न आया भटक कर इधर। दो कप के गोल निशान प्रमाण देते हुए कि कोई न आया भटक कर इधर।
ऐ कवि! तुम फिर से एक विरह गीत रच दो, हो सके तो कोरे कागज़ पे फिर से विरह की स्याही मल दो। ऐ कवि! तुम फिर से एक विरह गीत रच दो, हो सके तो कोरे कागज़ पे फिर से वि...
देख विरह से तनमन जलता, सावन आया अब आओ। देख विरह से तनमन जलता, सावन आया अब आओ।
आओ मिलकर के गाए प्यार की धुन रागिनी सुन भी लो अब आ जाओ तुम। आओ मिलकर के गाए प्यार की धुन रागिनी सुन भी लो अब आ जाओ तुम।
विरहावेश में गोपियाँ गाने लगीं हमारे व्रज की महिमा बढ़ गयी। विरहावेश में गोपियाँ गाने लगीं हमारे व्रज की महिमा बढ़ गयी।
जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना... जब कभी विश्वास डोले, मीत मुड़कर देख लेना...